महाराजा जय सिंह प्रभाकर अलवर राज्य के एक प्रमुख शासक थे, जिनका शासनकाल 20वीं शताब्दी के पहले भाग में था। उनका जन्म 14 जून 1882 को हुआ था और वे 1918 से 1937 तक अलवर राज्य के महाराजा रहे। जय सिंह प्रभाकर अपने शासन के दौरान कई सुधारों और विकास परियोजनाओं के लिए जाने जाते थे, लेकिन उनकी शाही शान-शौकत और विलासिता भी उतनी ही प्रसिद्ध थी।
शाही कारों का शौक
महाराजा जय सिंह प्रभाकर का कारों के प्रति विशेष आकर्षण था। उनके गेराज में कई विदेशी और विलासितापूर्ण कारों का संग्रह था, जिनमें से कुछ विशेष रूप से उनके लिए निर्मित की गई थीं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कारों में से एक रॉल्स रॉयस थी।
रॉल्स रॉयस कांड
एक प्रसिद्ध कहानी के अनुसार, एक बार महाराजा जय सिंह प्रभाकर जब लंदन में थे, उन्होंने रॉल्स रॉयस शोरूम में प्रवेश किया। शोरूम के कर्मचारियों ने उन्हें एक साधारण भारतीय समझकर अपमानित किया और उन्हें कार दिखाने से मना कर दिया। इस अपमान से क्रोधित होकर महाराजा ने लंदन से छह रॉल्स रॉयस कारें खरीदीं और उन्हें अलवर वापस भेजा। अलवर पहुंचकर, उन्होंने इन कारों को नगर निगम को कचरा उठाने के काम में लगाने का आदेश दिया।
यह खबर पूरे विश्व में फैल गई और रॉल्स रॉयस कंपनी की प्रतिष्ठा पर बड़ा धक्का लगा। बाद में रॉल्स रॉयस के अधिकारियों ने महाराजा से माफी मांगी और अनुरोध किया कि वे कारों को कचरा उठाने के काम से हटाकर उनके वास्तविक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करें।
अन्य शाही कारें
महाराजा जय सिंह प्रभाकर के कलेक्शन में कई अन्य दुर्लभ और महंगी कारें भी शामिल थीं। उनके गेराज में मर्सिडीज, बेंटले, ड्यूसनबर्ग, और कई अन्य प्रतिष्ठित ब्रांड्स की कारें थीं। ये कारें न केवल उनकी विलासिता को दर्शाती थीं, बल्कि उनके अद्वितीय शौक और आधुनिकता के प्रति प्रेम को भी प्रकट करती थीं।
शाही कारों का रखरखाव
महाराजा जय सिंह प्रभाकर अपनी कारों की देखभाल और रखरखाव पर विशेष ध्यान देते थे। उनके पास प्रशिक्षित मैकेनिकों की एक टीम थी, जो नियमित रूप से इन कारों की जांच और मरम्मत का काम करती थी। इसके अलावा, वे नई तकनीकों और उपकरणों का भी उपयोग करते थे ताकि उनकी कारें हमेशा उत्कृष्ट स्थिति में रहें।
निष्कर्ष
महाराजा जय सिंह प्रभाकर न केवल एक महान शासक थे, बल्कि एक शाही शैली और विलासिता के प्रतीक भी थे। उनकी शाही कारें और उनसे जुड़ी कहानियां आज भी लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं और उनके अद्वितीय व्यक्तित्व को दर्शाती हैं। उनकी जीवनशैली और शौक ने न केवल उनके समय को प्रभावित किया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मिसाल कायम की।
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